सूरा-अत-तीन
| मक्का कालीन | आयत 8|
(अंजीर)
अल्लाह के नाम से जो बहुत मेहरबान, रहम करने वाला है |
अंजीर की और जैतून की, (1)
और तूरे सीना की, (2)
और इस अमन वाले शहर की, (3)
अलबत्ता हम ने इन्सान को बेहतरीन साख्त में पैदा किया। (4)
फिर उसे सब से नीची (पस्त तरीन) हालत में लौटा दिया, (5)
सिवाए उन लोगों के जो ईमान लाए और उन्हों ने नेक अमल किए तो उन के लिए ख़तम न होने वाला अजर है। (6)
पर कौन झुटलाएगा आप (स) को इस के बाद रोजे जज़ा ओ सज़ा के मामले में? (7)
क्या अल्लाह सब हकिमों से बड़ा हकिम नहीं है? (8)
***
95. THE FIG
(at-Tin)
In the name of God, the Gracious, the Merciful.
1. By the fig and the olive.
2. And Mount Sinai.
3. And this safe land.
4. We created man in the best design.
5. Then reduced him to the lowest of the low.
6. Except for those who believe and do righteous deeds; for them is a reward without end.
7. So why do you still reject the religion?
8. Is God not the Wisest of the wise?
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