सूरा-अल-इन्शिकाक
| मक्का कालीन | आयत 25|
टूटना
अल्लाह के नाम से जो बहुत मेहरबान, रहम करने वाला है |
जब आसमान फट जाएगा, (1)
और अपने रब का (हुक्म) सुन लेगा और वह इसी लाइक है, (2)
और जब ज़मीन फैला दी जाएगी, (3)
और जो कुछ उस में है उसे निकाल डालेगी और खाली हो जाएगी, (4)
और अपने रब का (हुक्म) सुन लेगी और वह इसी लाइक है। (5)
ऐ इन्सान, बेशक तू चले जा रहा है अपने रब की तरफ़ मशक्कत उठाते, फिर उस को मिलना है। (6)
पर जिस को उस का आमाल नामा दाएं हाथ में दिया गया, (7)
पर उस से अनक़रीब आसान हिसाब लिया जाएगा, (8)
और वह अपने लोगों की तरफ़ खुश खुश लौटेगा। (9)
और वह जिस को उस का आमाल नामा उस की पीठ पीछे दिया गया, (10)
वह अनकरीब मौत मांगेगा, (11)
और जहन्नम में जा पड़ेगा। (12)
बेशक वह अपने लोगों में खुश ओ खुर्रम था। (13)
उस ने गुमान किया था कि वह हरगिज़ न लौटेगा। (14)
क्यों नहीं? उस का रब बेशक उसे देखता था। (15)
सो मैं कसम खाता हूँ शाम की सुर्थी की, (16)
और रात की और जो सिमट आती है। (17)
और चाँद की जब मुकम्मल हो जाए, (18)
तुम को दर्जा ब दर्जा ज़रूर चढ़ना है। (19)
सो उन्हें क्या हो गया है कि वह ईमान नहीं लाते? (20)
और जब उन पर कुरआन पढ़ा जाता है तो वह सिजदा नहीं करते। (21)
बल्कि जिन लोगों ने कुफ़ किया (मुकिर) वह झुटलाते हैं, (22)
और अल्लाह खूब जानता है जो वह (दिलों में) भर रखते हैं, (23)
सो उन्हें दर्दनाक अज़ाब की खुशखबरी सुना। (24)
सिवाए उन लोगों के जो ईमान लाए और उन्हों ने अच्छे काम किए, उन के लिए ख़तम न होने वाला अजर है। (25)
***
84. THE RUPTURE
(al-Inshiqaq)
In the name of God, the Gracious, the Merciful.
1. When the sky is ruptured.
2. And hearkens to its Lord, as it must.
3. And when the earth is leveled out.
4. And casts out what is in it, and becomes empty.
5. And hearkens to its Lord, as it must.
6. O man! You are laboring towards your Lord, and you will meet Him.
7. As for him who is given his book in his right hand.
8. He will have an easy settlement.
9. And will return to his family delighted.
10. But as for him who is given his book behind his back.
11. He will call for death.
12. And will enter the Blaze.
13. He used to be happy among his family.
14. He thought he would never return.
15. In fact, his Lord was watching him.
16. I swear by the twilight.
17. And by the night, and what it covers.
18. And by the moon, as it grows full.
19. You will mount stage by stage.
20. What is the matter with them that they do not believe?
21. And when the Quran is read to them, they do not bow down?
22. In fact, those who disbelieve are in denial.
23. But God knows what they hide inside.
24. So inform them of a painful punishment.
25. Except for those who believe and do good deeds; they will have an undiminished reward.
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