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सूरा-अज़-जुहा | सूरतुध धुह | Surah 93

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सूरा-अज़-जुहा | सूरतुध धुह

| मक्का कालीन | आयत 11| 

(रोज़े रौशनी)

सूरा-अज़-जुहा | सूरतुध धुह | Surah 93
अल्लाह के नाम से जो बहुत मेहरबान, रहम करने वाला है |

क़सम है आफ्ताब की रोशनी की, (1)

और रात की जब वह छा जाए, (2)

आप (स) के रब ने आप (स) को नहीं छोड़ा और न बेजार हुआ। (3)

और आखिरत आप (स) के लिए पहली (हालत) से बेहतर है। (4)

और अनकरीब आप (स) को आप का रब अता करेगा, पर आप (स) राजी हो जाएंगे। (5)

क्या आप (स) को यतीम नहीं पाया? पर ठिकाना दिया, (6)

और आप (स) को बेखबर पाया तो हिदायत दी, (7)

और आप (स) को मुफ़लिस पाया तो गनी कर दिया। (8)

पर जो यतीम हो उस पर कहर न करें, (9)

और जो सवाल करने वाला हो उसे न झिड़कें। (10)

और जो आप (स) के रब की नेमत है उसे इज़हार करें। (11)

***

93. MORNING LIGHT

(adh-Duha)

In the name of God, the Gracious, the Merciful.

1. By the morning light.

2. And the night as it settles.

3. Your Lord did not abandon you, nor did He forget.

4. The Hereafter is better for you than the First.

5. And your Lord will give you, and you will be satisfied.

6. Did He not find you orphaned, and sheltered you?

7. And found you wandering, and guided you.

8. And found you in need, and enriched you?

9. Therefore, do not mistreat the orphan.

10. Nor rebuff the seeker.

11. But proclaim the blessings of your Lord.

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